Thursday, November 25, 2021

अखंड ज्योति

1. क्या स्वप्न मन का विरेचन हैं ? 2. आप स्थूल दृष्टि से पत्थर देखते हैं मैं आस्था की दृष्टि से शक्तिपुंज देखता हूँ | 3. आजादी के बाद जनसंख्या ३ गुना बढ़ चुकी हैं और प्रतिव्यक्ति पानी की उपलब्धता 5177 cu लीटर से घटकर 1545 cu लीटर हो गयी हैं | 4. दुनिया की 2.4 % भूमि पर दुनिया 18% आबादी रहती हैं और उन्हें पिलाने के लिए दुनिया का 4% पानी ही हैं | 5. नियम -- शौच (गंदगी, देहासक्ति ) , संतोष (असंतोष), तप (जड़ता ) , स्वाध्याय (मूढ़ता ) , ईश्वर प्रणिधान (ईश्वर विमुखता) 6. यम -- सत्य (झूठ), अहिंसा (हिंसा), अस्तेय (क्रोध), ब्रह्मचर्य (इन्द्रिय असंयम, व्यभिचार), अपरिग्रह (लोभ) 7. सर्व धर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं वज्र 8. जिन लोगो को आलोचना करने की आदत होती हैं उनका आत्मविश्वास तेजी से घटता जाता हैं 9. कष्टमय जीवन के लिए अपने आप को ख़ुशी ख़ुशी प्रस्तुत करना यही तप का मूल हैं

Sunday, September 26, 2021

शब्द शक्ति

अभिधा मतलब नाम
अभिधा शब्द शक्ति का पहला प्रकार है जो शब्दों के शब्दकोशीय अर्थ का बोध कराती है। इसमें किसी शब्द का सामान्य अर्थ में प्रयोग किया जाता है। जैसे 'सिर पर चढ़ाना' का अर्थ किसी चीज को किसी स्थान से उठाकर सिर पर रखना होगा। साक्षात् सांकेतित अर्थ (मुख्यार्थ या वाच्यार्थ) को प्रकट करने वाली शब्दशक्ति अभिधा शब्दशक्ति कहलाती है।
लक्षणा (मुहावरे )शब्द-शक्ति का एक प्रकार है। लक्षणा, शब्द की वह शक्ति है जिससे उसका अभिप्राय सूचित होता है।कभी-कभी ऐसा होता है कि शब्द के साधारण अर्थ से उसका वास्तविक अभिप्राय नहीं प्रकट होता। वास्तविक अभिप्राय उसके साधारण अर्थ से कुछ भिन्न होता है। (पगड़ी की लाज रखिये)
व्यंजना --> व्यंगार्थ पर आधारित शब्द शक्ति --> सुबह के ८ बज गए --> अलग अलग व्यक्ति इसका अर्थ अलग अलग ले सकते हैं
कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात। भरे भौन मैं करत हैं नैननु हीं सब बात॥ --कवि बिहारी की भाषा साहित्यिक ब्रज भाषा है। शब्द चयन बड़ा सुंदर और सार्थक है। इन पंक्तियों में कवि ने कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक अर्थ भरने की कोशिश की है। शब्दार्थ: कहत = कहना, नटत = इंकार करना, रीझत = रीझना ;प्रसन्न होना, खिझत = खीजना, मिलत = मिलना, खिलत = खिल जाना, लजियात = शर्माना, भौन = भवन, नैननु=.आँखोंसे ही इस दोहे में कवि ने जब भरी भीड़ में भी दो प्रेमी बातें करते हैं और उसका किसी को पता तक नहीं चलता है ऐसी अवस्थाका वर्णन किया है । ऐसी स्थिति में नायक और नायिका आँखों ही आँखों में रूठते हैं, मनाते हैं, मिलते हैं, खिल जाते हैं और कभी कभी शरमाते भी हैं।

Friday, September 17, 2021

Twinkle Twinkle Little star on piano

Twinkle, twinkle, little star, CCGGAAG How I wonder what you are! FFEEDDC Up above the world so high, GGFFEED Like a diamond in the sky. GGFFEED Twinkle, twinkle, little star, CCGGAAG How I wonder what you are! FFEEDDC

Patna District

Patna district have : six(6) Sub-division, twenty three (23) Blocks , twenty three (23) Circles , three hundred twenty one (321) Panchayats and 1395 Villages. Patna -- Largest Town Household - 9,75,578 Population - 58,38,465 Sex ratio - 897 Literacy - 70% 2 parliamentary constituencies Patliputra -- 8 assembly segments -- Mokama , Barh, Danapur, Maner, Phulwari-sc, Masauhi --Sc, Paliganj, Bikram Patna Sahib -- ^ assembly segments -- Bakhtiarpur, Digha, Bankipur, Kumhrar, Patna Sahib, Fathua

भय

किसी भी आती हुई आपदा की भावना या दुःख के कारन से साक्षात्कार से जो इक प्रकार का आवेगपूर्ण अथवा स्तंभ कारक मनोविकार होता हैं उसी को भय कहते हैं आनेवाले दुख अथवा मुसीबत की कल्पना से उत्पन्न मनोस्थिति का नाम भय हैं

अनुस्वार / अनुनासिक

अनुस्वार - वणों के उच्चारण में यदि हवा केवल नाक से निकले | अनुस्वार के रूप बिंदु का प्रयोग बकया जाता है। • वर्णो के स्थान पर इसका प्रयोग बकया जाता है।जैसे- गंगा डंडा संतुष्ट • यदि शब्द में पंचाक्षर दुबारा आ जाता हैं तो पंचाक्षर को उसी रूप में लिखना चाहिए जैसे सम्मेलन, सम्मान • पंचम वर्ण के बाद य र ल व तथा ह आनेपर इन शब्दों में अनुस्वार का प्रयोग नही िंहोता। जैसे-मान्यवर, तुम्हारा आबद । • श ष स ह के पूर्व पंचाक्षर आनेपर अनुस्वार का ही प्रयोग होता है, पंचाक्षर का नही | जैसे दंश संहार • सम् उपसर्ग के उपरांत अन्तस्थ या ऊष्म वर्ण आनेपर म् अनुस्वार में ही परिवर्तित हो जाता है। जैसे सम्+वाद =सिंवाद, सम्+ यम = संयम अनुनासिक - जिन वणों का उच्चारण नाक और मुँह दोनों मिलकर किया जाता हैं। चाँद पाँच काँटा अनुनासिक स्वरो के प्रयोग में ध्यान देने योग्य बातें – • जिन स्वरों अथवा उनकी मात्रओ का कोई भी हिस्सा शिरोरेखा के ऊपर निकलता है, वहाँ अनुनासिक के लिए केवल बिंदु का प्रयोग किया जाता हैं गोंद गेंद • अनुनासिकता का प्रयोग आरम्भ मध्य अंत कही भी हो सकता हैं | हँसी लहँगा कुआँ हँस हंस

विद्यापति

मिथिला के राजा शिवसिंह --> रानी लक्ष्मी देवी --> दरबारी कवि विद्यापति --> पत्नी कर्कश स्त्री --> मीठा कुआँ --> यक्ष गन्धर्व महादेव स्थान (मंगोल) --> बज्रपाड़ा उगना से मोर कोता गेल कठ सुख साग सकन