Sunday, September 26, 2021

शब्द शक्ति

अभिधा मतलब नाम
अभिधा शब्द शक्ति का पहला प्रकार है जो शब्दों के शब्दकोशीय अर्थ का बोध कराती है। इसमें किसी शब्द का सामान्य अर्थ में प्रयोग किया जाता है। जैसे 'सिर पर चढ़ाना' का अर्थ किसी चीज को किसी स्थान से उठाकर सिर पर रखना होगा। साक्षात् सांकेतित अर्थ (मुख्यार्थ या वाच्यार्थ) को प्रकट करने वाली शब्दशक्ति अभिधा शब्दशक्ति कहलाती है।
लक्षणा (मुहावरे )शब्द-शक्ति का एक प्रकार है। लक्षणा, शब्द की वह शक्ति है जिससे उसका अभिप्राय सूचित होता है।कभी-कभी ऐसा होता है कि शब्द के साधारण अर्थ से उसका वास्तविक अभिप्राय नहीं प्रकट होता। वास्तविक अभिप्राय उसके साधारण अर्थ से कुछ भिन्न होता है। (पगड़ी की लाज रखिये)
व्यंजना --> व्यंगार्थ पर आधारित शब्द शक्ति --> सुबह के ८ बज गए --> अलग अलग व्यक्ति इसका अर्थ अलग अलग ले सकते हैं
कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात। भरे भौन मैं करत हैं नैननु हीं सब बात॥ --कवि बिहारी की भाषा साहित्यिक ब्रज भाषा है। शब्द चयन बड़ा सुंदर और सार्थक है। इन पंक्तियों में कवि ने कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक अर्थ भरने की कोशिश की है। शब्दार्थ: कहत = कहना, नटत = इंकार करना, रीझत = रीझना ;प्रसन्न होना, खिझत = खीजना, मिलत = मिलना, खिलत = खिल जाना, लजियात = शर्माना, भौन = भवन, नैननु=.आँखोंसे ही इस दोहे में कवि ने जब भरी भीड़ में भी दो प्रेमी बातें करते हैं और उसका किसी को पता तक नहीं चलता है ऐसी अवस्थाका वर्णन किया है । ऐसी स्थिति में नायक और नायिका आँखों ही आँखों में रूठते हैं, मनाते हैं, मिलते हैं, खिल जाते हैं और कभी कभी शरमाते भी हैं।

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